P.C- Saurabh Kumar
पेट की भूख ने ज़िंदगी के हर रंग दिखा दिए,
कंधो को बस्ते की जगह ज़िम्मेदारी के बोझ ने झुका दिए..
मासूम-सी हंसी के पीछे हर रोज़ नया ज़ख्म उभरता है,
दर्द के आंसू में भी इन आंखों में सपना पनपता है..
चाहत के फूल से भरा इनका जीवन का गुलदस्ता होता,
अगर ज़माने की गलियों में यूं बचपन न खोता..