Sunday, 27 August 2017

My sudden feeling

  

It took me to a way,
Where there is no choice..
But I keep myself rejoice…

It took me to a way,
Where I find much rush..
But I keep myself hush…

It took me to a way,
Where everything seems interim..
But it’s perennial in my dream…

It took me to a way,
Where I suffer from homesickness..
But I never look at my weakness…

It took me to a way,
Where there is no power of healing..
Consequently,  every instant I play with my sudden feeling…






Sunday, 20 August 2017

कलाम- 'सादगी और नवाज़िश का आईना'

"किसी की बुराई करने वाले इंसान की मिसाल उस मक्खी की तरह है, 
जो सारे खूबसूरत जिस्म को छोड़कर केवल जख्म पर ही बैठती है" 


"सफलता की कहानियां मत पढ़ो, उससे आपको केवल एक संदेश मिलेगा; असफलता की कहानियां पढ़ो..उससे आपको सफल होने के विचार मिलेंगे।"
"सपना वो नहीं जो आप नींद में देखते है, यह तो एक ऐसी चीज़ है जो आपको नींद ही नहीं आने देती।"  यह साधारण से वाक्य हमें अपने आप में बहुत कुछ कह रहे है। 
यह बातें एक ऐसी शख्सियत ने कही है, जिसने भारत नहीं बल्कि पूरे विश्व के लोगो के दिलों में अपनी खास जगह बनायीं है; भारत के सर्वोच्च पद को हासिल करने के बावजूद भी इन्हें "जनता का राष्ट्रपति" ही कहा जाता है। अपने जीवन में अनेक सफलताओं को प्राप्त करने के बाद भी वे ज़मीन से जुड़े रहे, और न ही उन्हें कभी अपनी काबिलियत पर गुमान रहा।  
इनका ना किसी धर्म या मज़हब से ताल्लुक था, था तो बस इंसानियत से। इन्होंने कभी किसी राजनीतिक दल को नहीं अपनाया, अपनाया तो बस जनता के हित में किये गए काम को, और उनके द्वारा मिले गए प्यार को। 
 15 अक्टूबर 1931 में धनुषकोडी गावं, ज़िला रामनाथपुरम, रामेश्वरम,तमिलनाडु के एक मध्यवर्गीय संयुक्त मुस्लिम परिवार में, भारत रत्न, "अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम" ने जन्म लिया था।  इनके पिता जैनुलाब्दीन पढ़े-लिखे तो नहीं थे, फिर भी उनके द्वारा दी गयी जिंदिगी की सीख और संस्कार डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को हमसब के लिए एक आदर्श बना गयी।

पाँच साल की आयु में डॉ. कलाम का दीक्षा-संस्कार रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक विद्यालय में करा दिया गया, अपने शिक्षक इयादुराई सोलेमान द्वारा कही गयी बात "जीवन में सफलता तथा अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा , आस्था, उपेक्षा इन तीन शक्तियों को भलीभांति समझ लेना और उन पर प्रभुत्व स्थापित करना" इस बात  को ध्यान में रखते हुए, अपनी शुरूआती शिक्षा को जारी रखने के लिए कलाम साहब अख़बार वितरित करने का काम करने लगे।

अपनी निष्ठा के दम पर खुद को बतौर एक प्रोफ़ेसर, लेखक, और वैज्ञानिक के रूप में खुद को स्थापित करने वाले अब्दुल कलाम ने 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में ग्रेजुएशन की उपाधि हासिल की, स्नातक की उपाधि के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिए भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया।

1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े, उनकी लगन और कठिन परिश्रम रंग लायी। उन्हें परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह मिसाइल 'एस.एल.वी 3' बनाने का श्रेय प्राप्त हुआ। 1980 में कलाम साहब ने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया, इस तरह भारत भी अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइल को स्वदेशी तकनीक से बनाने का श्रेय भी डॉ. कलाम को ही जाता है। इनके इन्हीं सफलताओं के कारण इन्हें "मिसाइल मैन" के नाम से भी नवाज़ा गया। 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार चुने गए और 1999 तक सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे।

कलाम साहब की कामयाबी का दौर आगे बढ़ता गया, 18 जुलाई 2002 को 90 प्रतिशत बहुमत द्वारा उन्हें भारत का ग्यारहवां राष्ट्रपति चुना गया, और 25 जुलाई 2002 को वे देश के पहले और सर्वोच्च नागरिक के कुर्सी पर विराजमान हुए। देश की सबसे ऊँची सत्ता हासिल करने के बावजूद भी डॉ. कलाम एक साधारण ज़िंदगी ही जीते रहे, वह शुद्ध शाकाहारी भोजन के प्रिय थे , हर रोज़ भक्ति संगीत सुनते थे और हिन्दू संस्कृति में विश्वास करते थे। "एमटीवी यूथ आइकॉन ऑफ़ द ईयर " के लिए कलाम साहब का नाम साल 2003 और 2006 में नामंकित भी हुआ। अनुशासनप्रिय कलाम साहब का कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हो गया।

पद छोड़ने के बाद इन्होंने अपना योग्दान शिक्षा के क्षेत्र में दिया और खुद को विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कायम रखा,साथ ही साथ बतौर लेखक उन्होंने कई कविताएं और पुस्तके लिखी "विंग्स ऑफ़ फायर" में उन्होंने खुद की जीवनी इस अंदाज़ में लिखी की उनकी ये किताब युवाओं के लिए मार्गदर्शन साबित हुई।  "गाइडिंग सोल्स -द डायलॉग्स ऑफ़ द पर्पस ऑफ़ लाइफ " ये किताब लोगो की ज़िंदगी के ऊपर लिखी गयी है। तो वही "इंडिया 2020" में डॉ. कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की है।

विजिटिंग प्रोफ़ेसर के तौर पर डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम 27 जुलाई 2015 की शाम भारतीय प्रबंधक संस्थान, शिलोंग में 'रहने योग्य ग्रह' पर एक व्याख्यान दे रहे थे; तभी दिल का दौरा आया और वे गिर पड़े, उन्हें तुरंत आईसीयू में ले जाया गया, जहां दो घण्टे बाद उनकी मृत्यु हो गयी।
भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और कई पुरस्कारों से समान्नित डॉ. कलाम आज हमसब  के लिए मानवता की एक ऐसी मिसाल है जिस के लिए उसके कर्तव्य से बढ़कर कुछ भी नहीं था, उन्हें प्यार था तो बस अपने काम से, अपने पेशे से, कलाम साहब को कभी किसी बात का स्वार्थ नहीं रहा और ना ही किसी चीज़ का मोह। उन्होंने हमें धर्मनिरपेक्षता का भी संदेश दिया, कोई धर्म या मज़हब इंसानियत के धर्म से बड़ा नहीं होता है।  उनकी यही सोच और कामयाबी आज हमसब के लिए किसी आदर्श से कम नहीं है। अगर इस दुनिया में सभी लोग कलाम साहब की तरह सोचे या उनके राह पर चले तो आज एक-दूसरे के मन में किसी के प्रति हिंसा की भावना होगी ही नहीं।

"किसी भी लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक का सुख, विशिष्टता और ख़ुशी
 समग्र समृद्धि शांति और राष्ट्र की ख़ुशी के लिए महत्वपूर्ण है" 

कलाम साहब की यही बातें उन्हें औरो से बिल्कुल अलग साबित करती है और आज भी हमसब के दिलो में ज़िंदा रखती है।    


Thursday, 17 August 2017

Be my soul mate


You are the alphabet to complete my word,
With every divine sentence it gets merged…
You are glitter to blush my face,
Which make my whole day amaze…

You are bliss to make me smile,
Love for you will always be asinine…
You are blink of my eyes,
On your lash my all dream lies…

You are thread to every breath,
With you forever I want to live…
You are my passionate desire,
That makes my world so higher…

You are rhyme to my poetry,
Love within us is like mystery…
You are blessed to me by fate,
So be my soul mate…









  



Thursday, 3 August 2017

है बस इतना फ़ासला

तू मेरा अनदेखा पहलु है,
अनजाने सफ़र का वो रास्ता है;
जिसकी मंज़िल खुद ख़ुदा तय कर रहा है..
है बस इतना फासला कि घिरे है ख़ामोश लम्हें में...

अनकही आवाज़, जो कही सीने में दबी है,
लबों से छूटते ही दिल में समा जाते है;
जिसका राग खुद ख़ुदा गा रहा है..
है बस इतना फासला कि घिरे है ख़ामोश लम्हें में...

अनसुना किस्सा जो किसी पन्ने का मोहताज़ नहीं,
ख्वाहिशों में घिरे पाक-अल्फ़ाज़ की तलाश है;
जिसका अंश खुद ख़ुदा लिख रहा है.. 
है बस इतना फासला कि घिरे है ख़ामोश लम्हें में...   
   

Sunday, 18 June 2017

I told HIM...


I told him I can’t wear heels and walk;
He replied, I choose to walk bare foot with you…
I told him I can’t put-up makeup all the time;
He replied, I’m in love with silent beauty…

I told him I don’t talk so much;
He replied, quietness makes you more desirable…
I told him I don’t enjoy parties;
He replied, I need you in my family affair…

I told him I don’t listen to anyone easily;
He replied, I don’t care about anyone…
I told him I do like a stubborn child sometimes;
He replied, I’m mature enough to tackle your childishness…

I told him I can’t give up on my dreams;
He replied, your dreams are mine now…
I told him I don’t care about society;
He replied, my world exist within you…





Saturday, 27 May 2017

वही सिखने की चाह...



"अगर कभी लोग आपके बारे में गलत बोले तो,
 उसे नकारात्म सोच में कभी भी तबदील न करे, 
और नाही लोगों के बातों का बुरा माने...
उनके सोच ऊपर उठकर आप हमेशा आगे बढ़ते रहे 
और खुद को और भी बेहतर बनाये" 

किसी के शब्द हमारे दिल को ऐसे छू जाते है जैसे किसी की लिखावट कोरे कागज़ पर अपने सारे भवनाओं को वयक्त कर जाती है और कभी न मिटने वाले अनोखे निशान छोड़ जाती है... वो शब्दों की खनखनाहट, वो चलने की आहट इतने ख़ास होते है कि गुजरते वक़्त के साथ भी उसका स्पर्श अनमोल-सा मालूम पड़ता है... आज भी वो चेहरे की चमक अपने आस-पास को रौशन कर रहा था, आज भी वो मुख से निकले मिठास के लफ्ज़ अपने आस-पास के कानो में मिश्री घोल रहे थे...

ज़िंदगी के इस सफ़र में हर इंसान हमारे लिए माएने नहीं रखता, पर कुछ लोग इस सफ़र में वो कड़ी होते है जिनसे हमारा जुड़ाव हमारे सफ़र को और भी सुनहरा बनता है, और वो कड़ी मेरे इस लिखावट से इस तरह जुड़ी है जिसका आगाज़ ही उस पल से हुआ था, जब पहली बार किसी ने मेरी गलती को सुधारा साथ-ही-साथ मेरी लेखनी को मज़बूत भी बनाया... 

"अरे !! तान्या... आ गये आप" इस आवाज़ की खनक और उन कदमों की आहट काफी महीनों बाद सुनाई पड़ी... पर बिल्कुल भी अनजान नहीं, वही शख़्सियत मेरे सामने... 
आज इतने दिनों बाद भी वही अपनापन, वही मान-सम्मान... बातों का दौर कुछ अजीब था कि फिर से पुरानी यादें ताज़ा हो गयी..  या यूं कहूं कि यादों से भी बढ़कर... उस पल में बहुत कुछ शामिल था ; कुछ सिखने की चाह, समझने की चाह, सही गलत में अंतर, लोगो को देखने का नज़रिया... हर बार की तरह आज इतने वक़्त गुजरने के बाद भी उनके हर एक शब्द ने मुझे बहुत कुछ सिखाया.. और तो और आज ज़िंदगी का पाठ भी  समझाया... पूरे रास्ते मन में ये ख्याल आ रहा था कि लगभग एक साल बाद मिलने जा रही हूं, क्या पता अब पहले जैसा कुछ न रहा हो? मेरी बातें भी याद होंगी या नहीं ? मेरा ज़िक्र तक होता होगा या नहीं ? पर मैं  गलत साबित हुई और इस बात की बहुत ख़ुशी है...आज मैं अपनी तरफ से जिस हुल्लास..उम्मीद से उनसे मिलने गयी उससे भी ज़्यादा पाया.. 
  
"खुली किताब की तरह, उनका एक-एक पन्ना सबको अनोखा स्पर्श महसूस कराता है... 
हर नकारात्मक सोच को सकारात्मक में परिवर्तित कर देता है...
 हर नापाक शब्द को पाक साफ़ कर एक नया आकार देना,
 वक़्त के चादर को खुद में समेट अपनी ज़िंदगी के हर कदम पर हमेशा मुस्कुराना,
 अपनी गुनगुनाहट से लम्हा पिरोहना... 
आप ज़िंदगी का वो आफ़ताब हो , 
जिसकी रौशनी अंधेरे को चीर हर कोने को उज़ागर कर जाती है..."     

Monday, 22 May 2017

The moment he passed by me

 
All the flower blossom, almighty cherished,
Weather smiled, the ray seems like boon;
That beautiful sight appeared quite soon,
The moment he passed by me…

The essence of charm, aroma of pure soul,  
I ever felt;
The entire word of love anthem,
Seeking the time to be melt;
The moment he passed by me…

The existence of my dream, face of my imagination,
Uproar to be alive;  
 there it say, give a frame,
where picture survive;
The moment he passed by me…

Spark of my eyes, piece of my own beauty,
I ever realized;
Silence were the outspoken,
second were delightful; 
The moment he passed by me…