ख़्वाब से घिरा मेरा सफ़रनामा..
यूं तेरे पहलू में मेरे हर ख़्वाहिशों का गुम हो जाना...
चमकती धूप में तेरा छाया बन जाना..
सूखे मौसम में बूंद की तरह बरस जाना...
ढूंढ़े ज़माना किसमें कौन है..
अब लम्हें में तू और तुझमें मैं...
दुनिया की इस भीड़ में मेरे साथ चलना..
उन्हीं भीड़ में मुझे मेरी आहट से पहचान लेना...
वो चाँद जो ज़मीं से है दिखता ..
इसने ही बनाया तेरा-मेरा रिश्ता...
ढूंढ़े ज़माना किसमें कौन है..
अब लम्हें में तू और तुझमें मैं...
ख़ामोशी में बात करने की वज़ह ढूंढना..
मेरी हल्की-सी मुस्कान के लिए तेरा हज़ारो गम चुनना...
गम में मिली है हंसी सौगात तुझसे..
खुशियों की हर आगाज़ तुझसे...
ढूंढ़े ज़माना किसमें कौन है..
अब लम्हें में तू और तुझमें मैं...
Bahut sundar
ReplyDeleteSuperb tanya... Lvd ur poem n writing ... Keep it up
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