Thursday, 26 July 2018

तुम्हारी-मेरी बातें...



आज तुम्हें देखे काफी वक्त हो गया.. आजकल बारिश हो रही, आसमान में काले बादल दिखते है.. जिसकी वजह से बहुत दिनों से तुम दिख ही नहीं रही.. अब क्या करुं ये मेरी आदत हो गई है.. कही भी रहूं बिना तुम्हें एक झलक देखे मन ही नहीं मानता.. सब पूछते है इतनी रात को छत पर क्या करने जा रही हो ? कितनी भी रात हो जाए तुम्हें देखे बिना.. तुमसे बातें किये बिना वो दिन अधूरा-सा लगता है.. सबको लगता है ये मेरी आदत है रात को सोने से पहले छत पर टहलना, हां आदत जरुर है..पर तुमसे मिलने की.. तुम्हें देखने की.. तुमसे बातें करने की.. अब लोग शायद पागल समझे.. पर ये तुम्हारी और मेरी बातें, फिर वो कुछ भी समझे क्या फर्क पड़ता है.. आज भी जब वो गाना गुनगुनाती हूं जो तुम्हारे पसंदीदा गानों में से एक हुआ करता था.. तेरे बिना जिंदगी से कोई सिकवा तो नहीं... लगता है तुम यहीं पास ही तो हो, और कहोगी स्पीकर में जरा बजाना इसको.. बातों पर धुल की परत जम गई है, पर यादें ताउम्र ताजा रहेंगी.. तुम्हें हमसब को छोड़ कर गए लम्बा अरसा होने जा रहा है.. पर आज भी मैं तुम्हें अपने करीब ही महसूस करती हूं.. कहा था ना मैनें, तुम्हारी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता..और ना वो जगह मैं किसी को दूंगी.. आज भी कई बातें मन में ही रह जाती है..मन करता है जोर से चीख कर तुम्हें अपनी हर बात बताऊं..जहां भी हो बस मेरी हर बातें सुन लो.. अब तुम्हारे इस पसंदीदा गाने का बोल ही सच लगता है.. तेरे बिना जिंदगी भी लेकिन जिंदगी तो नहीं.. जिंदगी नहीं.. जिंदगी नहीं..."  

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