Thursday 18 May 2017

ऐ खुदा! बना मुझे कुछ ऐसा



"हर रोज़ तेरा सजदा कर यही दुआ मांगती हूं,"


ऐ खुदा! बना मुझे कुछ ऐसा... 
किसी के सुख का हिस्सा मैं नहीं तो,
किसी के अश्कों में मेरी तस्वीर न नज़र आये.. 
अगर किसी को सुकून न दे सकु तो,
उसकी बेचैनी का कारण भी न बनु.. 

ऐ खुदा! बना मुझे कुछ ऐसा...
किसी की तकलीफ़ न दूर कर सकूं तो,
किसी को दर्द भी मेरी वजह से नसीब न हो.. 
अगर किसी के घाव पर मलहम न लगा सकूं तो,
उसके जख्मों पर नमक लगाने का कोई हक़ न हो..

ऐ खुदा! बना मुझे कुछ ऐसा...
किसी की तारीफ़ न करू तो,
किसी की बुराई करने का भी कोई हक़ न हो..
अगर कही रौशनी न कर सकूं तो,
कही का दीपक भी न बुझाऊ..

ऐ खुदा! बना मुझे कुछ ऐसा...
 जब-जब सिर झुकाऊ,  यही दुआ पाऊ, 
किसी के मुस्कुराहट का कारण बन जाऊ..
उदासी का आलम हटा,
ख़ुशी का टुकड़ा ढूंढ़ लाऊ..

ऐ खुदा! बना मुझे कुछ ऐसा...
कि खुद को दूसरों से अलग पाऊ..... 

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