Thursday 9 February 2017

#कारvaan...Experience..

मन में कोई चाह हो तो दबा कर नहीं रखते, “भावनाये” हमारे सच्चे मन की वो आवाज़ होती हैं जिसे हर इन्सान कागज़ के टुकड़ो पर नहीं उतार सकता... और यही भावनाये कभी-कभी अनुभव का रूप ले लेती हैं ...
जिस पल में जो मिल जाये वह हमारे लिए काफी होता हैं, अपने सपनों को नयी उड़ान देने के लिए और ख्वाहिशों के परिंदों को पर देने के लिए... कुछ यादों.. कुछ बातों को पीछे छोड़, एक नयी सफ़र एक नयी मंजिल को पाने के लिए अपना नया कारवां निकल पड़ा... जिंदगी के कुछ बीते पन्नो को पालटू तो यहां की आबो-हवा आज खुशनुमा लगती हैं... ये दुनिया अपनी न थी, जितनी आज लगती हैं...
घर से दूर जिन्दगी ने बहुत कुछ सिखाया... गिर के उठाना और खुद को संभालना भी आ गया..
जब भी शाम कमरे का दरवाजा खोलती हूं, आस-पास देखती हूं तो घर की बहुत याद आती हैं... वो माँ की बातें..वो लाड..वो प्यार..वो डांट बहुत याद आता हैं... पर वो बचपन कही खो सा गया और हम कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला... किसने कहा की बड़े होने के लिए वजह चाहिए..? ये तो समय हैं जो मुझे आज हर बात पर बड़े होने का एहसास दिला जाता हैं.. पहले चीजों को जगह पर रखना कितना भरी लगता था, आज वही रोज का काम बन गया हैं.. समय-समय पर माँ का कहना इतनी देर हो गयी अभी तक खाया भी नहीं, अब इसका भी ख्याल कौन रखे...?
आज जब पीछे मुड़कर देखती हूं तो अपनी उस परछाई को धुंधली पाती हूं... लगता हैं कल ही की तो बात हैं जब पापा हर रात की तरह मुझे अपने पास बैठा जिन्दगी का नया पाठ पढ़ाते थे, मेरे सिर पर हाथ फेर चहरे पर मुस्कराहट के साथ कहते थे.. “बहुत देर हो गयी जा कर सो जा”
आज समय का पता ही नहीं चलता पर हां, उस स्पर्श को हमेशा महसूस करती हूं.. और जीवन में कुछ करना हैं तो हर कदम पर करुँगी.. क्योंकि वो मेरे हौसलों की उड़ान, मेरे जज्बों की पहचान हैं...
मेरा यंहा होना ही मुझे अपने आप में बहुत बड़ी बात मालूम होती हैं.. इस जगह ने मुझे मेरे पापा के प्यार और माँ की ममता से अवगत कराया हैं.. अपने पढ़ाई के साथ-साथ मेरे मन में मेरे सरे शिक्षको के लिए बहुत इज्ज़त हैं.. उनका स्थान मेरे ज़ीवन में सर्वोच्च हैं.. मुझे हर कदम पर उनका साथ मिला, उनके सहयोग और मार्गदर्शन के बिना तो कुछ संभव ही नहीं.. एक अंकुरित बीज को बढ़ने के लिए सही देख रेख की बहुत आवश्यकता होती है, मेरी वही आवश्यकता मेरे शिक्षको ने पूरी की...
मैं कंभी नहीं भूल सकती अपनी इस दुनिया को जिसने मुझे सच में परिवार के मायने सिखाये हैं.. याद करुँगी इस हर वक़्त जब यह सोचूंगी... मैं बड़ी उस जगह हुयी थी जो मेरा अपना परिवार था ही नहीं.. पर कुछ अंजान रिश्ते मेरे कब अपने बन गए पता ही नहीं चला.. आज मैं इतनी बड़ी हो गयी हूं कि अपनी इस दुनिया को चमक भरी निगाहों से देखती हूं.. उल्लास से अपनाती हूँ यंहा के लोंगो को.... चहरे पर सिकन होने के बाद भी मुस्कुराती हूं.. दिल में कसक हैं पर आज उसे मिटने की हिम्मत भी रखती हूं..
कैसे भूल सकती हूं इस जगह को जिसने मेरा हाथ तब थमा था, जब मेरे अपने मुझे यंहा छोड़ गए थे.. मेरा हाथ थाम इसने मुझे इस काबिल बनाया कि, मुझे अपनी जिंदगी में कुछ कर गुजरने का हौसला जरुर हैं... लोग जब भी देखे और सुने मेरी इस दुनिया के बारे में तो यही कहे की बहुत खुबसूरत हैं तुम्हारी दुनिया और बहुत दिलचस्प हैं वहां की बातें.........


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