दोस्तों के बिना जीवन की कल्पना ही अधूरी है...
सुदामा ने श्री कृष्ण से पूछा कि... "दोस्ती का असली मतलब क्या होता है"...?
कृष्ण ने हंसकर कहा... "जहां मतलब होता है..वहां दोस्ती कहां होती है..!!
दोस्ती..दोस्ती तो वो होती है जो निस्वार्थ भाव से की जाती है, और एक के मरने के बाद भी निभाई जाती है...
इस बात में उतनी ही सच्चाई है जितनी मजबूत वो दोस्ती है... जितना अनोखा उस दोस्ती का एहसास है...
न कोई जाती, न कोई धर्म होती है इसकी पहचान..
ये बंधन तो होता है, बिल्कुल अंजान...
खून के रिश्ते से ऊपर होता है औहदा जिसका..
गंगाजल से पवित्र होता है सच्चे दोस्त का रिश्ता...
होता नहीं ताउम्र निभाने का वाद..
ये भी नहीं कि कौन किससे जिन्दा रहेगा ज़्यादा...
किसी के सपने को अपना मान..
किसी के नज़रिये को अपना बना...
हर पल किसी का अस्तित्व अपने अंदर,
ज़िंदा रखना नहीं होता आसान...
अगर है किसी की दोस्ती ऐसी तो कायम करती है,
ज़िंदगी में अद्भुत मिशाल...
Nice to good.
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