Wednesday 22 March 2017

...खिड़किया...

क्योंकि कुछ खिड़किया ऐसी होती हैजिसके खुलते ही ताज़ी हवा के साथ-साथ अनजाने रिश्तो का सफर शरू हो जाता है....


माँये शब्द अपने आप में ही खुद को पूरा करता है... पर हांइसके न होने से सब कुछ अधूरा हैइंसान की उतपत्ति ही इसी से होती है... जीवन में सब साथ छोड़ दे पर माँ कभी नहीं अपने बच्चो को छोड़ कर जाती है... खुद का शरीर काट वो अपने बच्चे की हर ख्वाहिशों को पूरा करती हैउसके सपनों को अपना समझ हर पल जीती है... ज़माने के तानों सुनकरलोगो की खरी-खोटी सहकर भी एक माँ अपने बच्चे को उन हज़ारो बद्दुआओं से बचा लेती है क्योंकि माँ की दुआओं में इतनी शक्ति होती है... जिसके सामने बड़े से बड़ा रोग और तकलीफ अपना सर झुका लेते है...
ये कहानी हैएक ऐसे ही माँ की जिसने अपनी बच्ची को मौत के मुँह से छीनउसे नया जीवन दिया..
आज बुराईया इतनी बढ़ गयी है किहम कहते है इंसानियत खत्म हो गयी... तो इस बात को भी गलत साबित करती है ये कहानीक्योंकि कुछ खिड़किया ऐसी होती हैजिसके खुलते ही ताज़ी हवा के साथ-साथ अनजाने रिश्तो का सफर शरू हो जाता है....

एक गरीब बूढ़ी माँ घर में काम करती रहती हैतभी बहार से उसकी बेटी आती है...
रश्मि- माँ..माँ.. माँ... क्या कर रही हो ?
माँ- कुछ नहीं मेरी बच्ची  तू बोल न... क्या बोलना है तुझे...
रश्मि- माँतुम हमेशा समझ जाती हो मेरे मन को...
माँ- हांमैं तेरी माँ हूँ,..  माँ तो सब समझ जाती है....
रश्मि- माँ... मुझे पढ़ना है... आज मैंने रास्ते में बहुत सारे बच्चे को स्कूल जाते देखामुझे भी पढ़-लिख कर कुछ बनना है....
माँ- हांमेरी बिटिया रानी...  तू जी लगा कर पढ़नाजितना चाहे पढ़ना... मैं कुछ भी करुँगी तुझे पढ़ाने के लिए....
रश्मिनहींमाँ तुम परेशांन मत हो.... मैं पढ़ लूंगी...
माँपढ़ लूंगी ?ऐसे कैसे पढ़ लेगी...
रश्मिमैंने कहा न मैंपढ़ लूंगी...
माँअगर पढाई करने से तेरे चहरे पर मुस्कराहट रहती हैतो मेरी बच्ची तू खूब पढ़... मैं दिन-रात एक कर दूंगी तुझे पढ़ाने में....
रश्मितुम इसकी चिंता मत करो... तुम बस अपना ख्याल रखो... और आमदनी के पैसो से अपना इलाज़ सही से करवाओक्योंकि तुम स्वस्थ रहोगी तो मेरे चहरे पर मुस्कराहट अपने आप बनी रहेगी...

अगली सुबह रश्मि कुछ बच्चो को स्कूल जाते देख  पीछे जाती हैवहां क्लास में बच्चो को पढ़ता देख... वो चुपचाप शिक्षक के द्वारा बोले जा रहे शब्दों को ध्यान से सुनती हैउससे साफ-साफ सुनाई नहीं आता फिर भी पूरी कोशशि करती है सुनने की...... रश्मि ऐसा रोज़ करती थी... एक दिन शिक्षक ने उसे देख लियाउससे कुछ पूछते वो डर कर वहां से भाग गयी....
अगले दिन भी शिक्षक ने देखा फिर उससे पूछा- तुम कौन हो यहाँ क्या कर रही हो ?
रश्मि बिल्कुल सकपका गयीडर के मारे कुछ नहीं बोला...
ऐसा करते उसी क्लास की एक बच्ची ( विद्या ) ने देख लिया... वो समझ गयी की रश्मि यहाँ क्यों आती है...रश्मि ने भी विद्या को देखा...
अगली सुबह क्लास में विद्या कहती है- बहुत गर्मी हो रही खिड़की खोल दो....
वो ऐसा जान बुझकर करती है ताकि रश्मि को सब साफ-साफ सुनाई दे...
रश्मि समझ गयी की विद्या ने ऐसा क्यों कहा... उस दिन के बाद से रश्मि सब कुछ साफ-साफ सुन पाती थी और समझ भी जाती थी....
घर आकर वो बहुत खुश होती है और दौड़कर माँ के गले लग जाती है..
माँ- क्या बात है मेरी लाडो आज इतनी खुश है...
रश्मि- हांमाँ अब मैं ज़रूर बड़ी अफसर बनूँगी... फिर तुम्हे कोई काम नहीं करना पड़ेगा...

स्कूल जाने के दौरान,एक दिन छुट्टी के वक़्त वो पकड़ी गयीसारे बच्चे उसका मज़ाक उड़ाने लगे.... शिक्षक भी इस बार ज़ोर से उससे पूछते है.... रश्मि सिर्फ विद्या की तरफ देखकर कहती है
रश्मि- दीदी...दीदी...

फिर रश्मि वहां से चली जाती है... फिर सब विद्या से पूछते हैवो कौन थी ?
विद्या- वो यहाँ पढ़ने आती थी हमसब की तरह....

एक दिन अचानक रश्मि की तबीयत ख़राब हो जाती हैउसे बहुत उलटी होती हैमुँह से खून भी निकलता है.. माँ बहुत डर जाती है... वो पड़ोस से लोगो को बुलाती है... सब आते है... पर कोई मदद नहीं करता...
आपस में औरते रश्मि को ऐसे देख कहती है- न जाने कहा मुँह काला किया होगा... जवान लड़की पर नजर रखनी चाहिए थी...
दूसरी कहती है - अरे ! एक अकेली माँ क्या-क्या करे बाप होता तो ठीक रहता..
पहली- अब तो भगवान  जाने क्या होगा?
यह सुनकर माँ की आँखों से आंसू छलक पड़ते है... फिर भी वो किसी की नहीं सुनती और रश्मि के इलाज़ के लिए सबसे मदद मांगी है और काम खोजती है...
उससे रुई की बत्ती बनाने का काम मिलता है,और वो बत्ती बना कर मंदिर के बहार बेचती है... ट्राफिक सिग्नल के पास इस हालत में भीख मांगती हैताकि किसी भी तरह उसकी बेटी ठीक हो जाये...

रश्मि को वो डॉक्टर के पास ले कर जाती हैउनकी गरीब देखकर उससे हॉस्पिटल में घुसने नहीं देते
माँ- भईया , जाने दो भीतर मेरी बेटी बहुत बीमार है... एक बार डॉक्टर साहब को दिखा दूभगवान तुम्हे हर सुख देगा...भईया जाने दो...
वॉचमैन- ये सरकारी अस्पताल नहीं हैयहाँ की फीस की भी हैसियत नहीं है तुम जैसो कीजाओ किसी सरकारी अस्पताल में....
वॉचमैन उसे गेट से ही भगा देता है...
माँरश्मि को लेकर सरकारी हॉस्पिटल में जाती है,वहां दिखती है... डॉक्टर दवाईया लिखते हैजो बहुत महंगी होती है...
दवाईयो का रसीद ले कर माँ मेडिकल शॉप पर जाती है... वहां भी रुपये ना होने की वजह से दूकानदार उससे दवाईया नहीं देता है...
माँ- बेटामेरी बच्ची के लिए है ये दवाईया...वो बहुत बीमार है बेटामैं तुम्हारे बाकी के रूपये जल्द ही दे दूंगी बस मुझे अभी ये दवाईया दे दो... उससे ज़रूरत है इसकी...
दूकानदार- देखिये माँ जीहमने यहाँ मुफ्त में दवाईया बाटने के ली दुकान नहीं खोल रखा है...
माँ- बेटामैं तुमसे मुफ्त में कहा मांग रही हूँ...
दूकानदारनहींहम उधारी भी नहीं देतेअब जाओ यहाँ से....

कुछ रूपये जमा होने के बाद माँ दवा ले आती है और रश्मि को खिलाती हैपर रश्मि कहती ही उलटी कर देती है... कुछ दवाईयो का असर होता हैबाकि सब बाहर निकल जाते थे...  एक दिन फिर दवाईयो के लिए वो दुकानदार के पास जाती हैइस बार भी उधार में मांगती है... पर इस बार उससे दवाईया मिल जाती है क्योंकि उसकी तारीख खत्म हुयी रहती है...
दुकानदार-हाँमाँ जी बिलकुल ले जाइये दवा....
माँभगवान भला करे तुम्हारादुआओ में बहुत ताकत होती है... मैं अपनी बच्ची के लिए रोज़ दुआ मांगी हूँ उपरवाले से... देखना मेरी बच्ची बिलकुल ठीक हो जाएगी..
दूकानदारइसे खा कर तो तेरी बेटी सीधे ऊपर जाएगी.. (वो मन ही मन बोलता है )
दुकानदार पास खड़े आदमी से - अरे दे दे दवाईया,इस बुढ़िया को क्या पता चल रहा....
आदमीहाँवैसे भी हम करेंगे भी क्या इस दवा का... बेटी वैसे भी मारेगी और ऐसे भी मर जाये तो क्या होगा..

दुकान वाले को ऐसा करते विद्या देख लेती हैवो माँ के पीछे-पीछे जाती है... घर पहुंचकर वो रश्मि को देखकर चौक जाती है.... माँ के उधर मुड़ते ही वो दवाईया फेक देती है और सारी शीशियां तोड़ देती है ,तभी माँ विद्या को देख लेती है और वो सामान उसकी तरफ फेकने लगती है...
माँ- तू कौन है मेरी बेटी को मारने आयी हैं तू... मैं सब समझती हूँ....
रश्मि- नहींमैं तो बस आपको बताने आयी हूँ कि ,ये दवाईया खराब है... इनकी तारीख खत्म हो चुकी है... आप इससे रश्मि को मत खिलाइये..
माँ- धन्यवाद बेटीअगर मुझेसे ये गलती हो जाती तो आज मैं अपनी बच्ची को खो देती.. मैंने कहा था उस दुकानवाले से दुआओ में बहुत शक्ति होती हैऔर देखो सच में... भगवान ने तुम्हे भेजा मेरी बच्ची की जान बचाने के लिए...

रश्मि,माँ को अच्छी जगह काम दिलाती हैकाम से मिले रूपये से माँ रश्मि का इलाज़ करवाती है... रश्मि स्वस्थ हो जाती है... और अपनी पढाई पूरी करने स्कूल भी जाने लगती है...

मंज़िल दूर और सफर बहुत है... छोटी-सी ज़िन्दगी फ़िक़्र बहुत है....
मार डालती ये दुनियाकब की हमे....
लेकिन माँ की दुआओ में असर बहुत है....

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